जब पिताजी के साईकिल से आवाज़ आती थी और डर के मारे जैसे- तैसे लालटेन लेकर पढ़ने बैठ जाते थे और फिर सुबह उसी साईकिल पे बैठ कर सरकारी स्कूल की तरफ चल पड़ते थे तब सोचा नही था की कभी भारतीय जनसंचार संस्थान में पढ़ने का मौका मिलेगा। भारतीय जनसंचार संस्थान यानि की IIMC । कहें तो पत्रकारिता का IIT, IIM सब यही है।
IIMC को IIMC बनाया है यहाँ पहुँचने वाले लोगों ने, संचार विधा के सर्वोत्तम शिक्षकों ने।
मेरे जैसे सामान्य पृष्ठभूमि से आनेवाले व्यक्ति के लिए कितना सुखद है यह अनुभव, ऐसे लोगों के बीच रहना जहाँ सबकी एक संघर्ष यात्रा है।
मैं अब भी जब आँखे बंद करता हूँ तो वही रांझना फिल्म के कुंदन की तरह बचपन सामने से गुज़र जाता है। जहाँ एक गाँव है, एक बरगद का पेड़ है जिसको सब ब्रह्म बाबा कहते है। लखनदेई नदी के किनारे हमारा घर है, वही कही सड़क पे खेलता हुआ मै हूँ।
कितना मुश्किल है ना इतने कठिन और उलझे हुए सफर को सादे पन्ने पर समेट पाना। शायद IIMC किस्मत से मिला है क्योकि जिसकी चाह आप रखते हो वो आपको मिल जाए तो फिर आप इसका श्रेय परिश्रम के अलावा भाग्य को ही देते है।
इस बार IIMC ने एक नया कोर्स शुरू किया है, डिजिटल मीडिया। इतने रचनात्मक लोग इसका हिस्सा बने है, शायद IIMC को पत्रकारिता का शिखर संस्थान बनाने में ऐसी ही लोगों की भूमिका रही होगी। कुछ ऐसे ही साथियों से आपको रूबरू करवाते है, जिनके प्रतिभा के सभी कायल है।
ऐश्वर्या राय निगम चंचल, चपल और बेवाक है, आप इन्हे कांटेंट का उड़ता हुआ हेलिकॉप्टर कह सकते है। शिवम मिश्रा तो कमांडो है, हमेशा मुश्किल वक्त में सख्त। बाद में आया लक्की पुराना दोस्त है , होटल इंडस्ट्री से आया है। उसके शब्दों में मिठास है और अपनेपन का एहसास भी। नमन जैन और विशाल दोनों देल्ही से आये है, नये जमाने के पत्रकारिता के लिए बिल्कुल सटीक लोग।उमेश एक सुलझा हुआ लड़का है, कविताओं में खाशी दिलचस्पी है,उसकी बातों में गहराई होती है।
अंग्रेज़ी पत्रकारिता में भी मेधा की कमी नही है एक से बढ़कर एक हैं।अर्क वत्स कृषि की पढाई करने के बाद IIMC आये है, सीखने का जुनून और अपने को साबित करने का हौसला रखते है। गौरवी माथुर शांत, निश्छल एवं परम मेधावी है। सुधाकर अंग्रेज़ी के साथ साथ हिंदी भाषा के भी अच्छे जानकार है, उनकी कविताएँ और अंदाज़े बयां का मै व्यक्तिगत रूप से कायल हूँ। जम्मू के माणिक शर्मा अध्यात्मिक रूप से संपन्न व्यक्ति है जिनके हिसाब से हर दूसरी बात डिबेट का विषय है।
लेकिन सबसे दिलचस्प मेरे कक्षा सहपाठी है, सब असीम प्रतिभाओं से संपन्न । शुरुआत गौरव रावत से होनी चाहिए, गौरव राजनीति का आदमी है लेकिन लिखता बहुत बढ़िया है। सरफराज IIMC में बना मेरा पहला दोस्त है, एक छोटे से गाँव से निकल कर, एक लंबे संघर्ष के रास्ते यहाँ पहुँचा है। नीतीश इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लिए बना हुआ आदमी है लेकिन ईश्वर ने उसकी कई बार कठिन परीक्षा ली है। अनुराग मेरे डिपार्टमेंट का कमांडो है, उसके आने से संकाय में विविधता आई है। पारस पाठक में मेरे जैसे कुछ गुण है,शैतान होने के साथ- साथ हमेशा कुछ रचनात्मक करने की कोशिश करता है।
इन सभी के बीच मेरे दो खाश मित्र है। अपूर्वा मिश्रा और रोहित। दोनों बराबर के प्रिय। इनके यहाँ होने से मेरी यह यात्रा समृद्ध हुई है। दोनों का व्यक्तिगत रूप से मुझपे एक बड़ा एहसान है,कई बार जब आदमी अकेलेपन से जूझ रहा होता है तब उसे अच्छे दोस्तों की जरूरत होती है, रोहित और अपूर्वा मेरे लिए उन दोस्तों मे से है जिन्होंने मुझे चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित किया और शायद इनके कारण ही मै उस दौर से बाहर निकल पाया।
अपूर्वा दिल्ली से है पर पूर्ण रूप से इलाहाबादी । निष्कपट एवं सरल होने के साथ-साथ व्यवहार कुशलता में सर्वोत्तम। इंटरनेशनल रिलेशन एक्सपर्ट अपूर्वा की खाश बात यह है कि इनको अपनी प्रतिभा का अभिमान नही है। आवाज़ अच्छी है और जब अपने पे कुछ बीत जाता है तो अच्छा लिख भी लेती है।
रोहित मार्मिक व्यक्ति है। ऐसे मानो पीजी कोर्स में कोई आठवीं – दसवीं का बच्चा आ गया हो। रोहित मेहनती है,लिखना पढ़ना चाहता है लेकिन अभी तक शायद उसका मन बना नही है।
बस अब इतना कहना है।
“ज़िंदगी क्या है इक कहानी है
ये कहानी अभी नहीं सुनानी है,
IIMC तो बस एक ठिकाना है
सफ़र लंबा है अभी दूर जाना है”