कल्पना में विचरण करता मन
सोचे हर पल कुछ उलझन
एक स्मृति है जिसको शब्द दूं
मैं एक ऐसा काव्य रचूं
वो सहजता वो संग
फूलो सा कोमल सादा जीवन
इसको ईश्वर की सौगात लिखूं
मैं एक एसा काव्य रचूं
हृदय बसे उन गुजरे पल में
सोचूं जिसको आठ पहर
इस धड़कन को राग लिखूं
मैं एक एसा काव्य रचूं
असर ये कैसा छाया है
श्रद्धा से झुक जाए सर
इसे भागीरथ का सांझ लिखूं
मैं एक एसा काव्य रचूं