एक संतुष्ट जीवन एक सफल जीवन से बेहतर है, ये कहना है झारखंड के राकेश का। जिन्होंने इंजीनियरिंग और मनैजमेंट की पढ़ाई के बाद लाखों की सैलरी वाली नौकरी के बजाय खेती को अपना करियर बनाया। गांव वालों की आजीविका को बेहतर बनाने, किसानों को मॉडर्न खेती से अवगत कराने और खेती को ऑर्गनाइज्ड सेक्टर बनाने के मकसद से राकेश ने ‘ब्रुक एन बीस’ नाम से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की।
राकेश की इस अनोखी पहल के कारण आज तकरीबन 80 लोकल किसान उनके साथ जुड़ कर 50 एकड़ की जमीन पर कम्युनिटी-ऑर्गेनिक फार्मिंग कर रहे हैं। कम्युनिटी फार्मिंग में जुड़नेवाले कुछ किसानों को हर महीने 8000 रूपए सैलरी मिलती है और कुछ किसान जिनके पास जमीन है उन्हें प्रॉफिट का 10% मिलता है। किसानों और गांव वालों की मदद के अलावा ‘ब्रुक एन बीस’ से राकेश खुद 10-12 लाख सालाना कमा रहे हैं।
भारत भ्रमण के बाद आइडिया आया
32 साल के राकेश महंती, झारखंड के जमशेदपुर के पटमदा के रहने वाले हैं। 2012 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई बैंगलोर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से करने के बाद TCS कोलकाता में 4 साल तक नौकरी की। जहां वो हर महीने 1.5 लाख कमा रहे थे उसके बाद उन्होंने जेवियर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट जमशेदपुर से आगे की पढ़ाई की।
दैनिक भास्कर से बात करते हुए राकेश बताते हैं, “पढ़ाई के बाद मैं भारत भ्रमण पर गया जो मेरी जिंदगी का सबसे ज्यादा सीखने वाला समय था। मैंने देश के कई रंग, कल्चर, लोग और उनके जीने के तरीके के बारे जाना। इसी दौरान में देश के दो तरह के किसानों से मिला। एक तरफ पंजाब-हरियाण के किसान हैं जो काफी समृद्ध हैं, वहीं दूसरी तरफ छत्तसीगढ़ और झारखंड के किसान ऐसे हैं जो बहुत मेहनत के बावजूद खेती से अपनी आजीविका नहीं चला पाते हैं। इस वजह से कई किसान खेती छोड़ दूसरी जगह जा कर मजदूरी करने को मजबूर हो जाते हैं। खेती एक ऐसा सेक्टर है जिसमें कोई अपना करियर भी नहीं बनाना चाहता तो यहां बदलाव भी कैसे आएगा ये सो मैंने इससे अपना करियर बनाया”।
खेती और किसानों की जिंदगी को बेहतर बनाने और एक अनोखे उद्देश्य के साथ जीवन जीने के लिए राकेश ने ब्रुक एन बीस की शुरुआत की।
एक बीघा जमीन पर 5 किसानों के साथ से शुरुआत की
2018 में राकेश ने मैनेजमेंट की पढ़ाई के बाद ब्रुक एन बीस की शुरुआत अपने गांव पटमदा से की। जिसके लिए उन्होंने अपने साथ 5 किसानों को भी जोड़ा। फार्मिंग के लिए राकेश ने ट्रैडिशनल तरीके के बजाय ऑर्गेनिक तरीका चुना। इसके अलावा उन्होंने फसलों का चयन मौसम के अनुसार किया।
राकेश बताते हैं, “मैं गांव में ही पला बढ़ा हूं इसलिए मुझे खेती के बारे में बहुत कुछ मालूम था। ज्यादातर किसानों की फसल इसलिए खराब हो जाती है क्योंकि वो मौसम के अनुसार खेती नहीं करते। मैंने अपने पहले प्रोजेक्ट में इन बातों का ही ध्यान दिया। मौसम के अनुसार लोकल फसलों की खेती करने का प्लान किया। इस वजह से पहले सीजन में ही हमने काफी मुनाफा कमाया। धीरे-धीरे हमसे कई किसान जुड़ने लगे और हम बड़ी जमीनों पर खेती करने लगे।”
राकेश नेचर के अनुकूल और सामाजिक रूप से समावेशी खेती में विश्वास रखते हैं। फिलहाल वो 80 किसानों के साथ 50 एकड़ की जमीन पर कम्यूनिटी फार्मिंग कर रहे हैं। इनके स्टार्टअप में दो तरह के किसान जुड़े हैं। एक वो जिनके पास जमीन नहीं हैं, यानी भूमिहीन और दूसरे जिनके पास जमीन है। भूमिहीन किसानों को हर महीने 8000 सैलरी मिलती है, जबकि जमीन वाले किसान प्रॉफिट पर काम करते हैं।
ऑर्गेनिक फार्मिंग पर फोकस किया
2019 में राकेश ने अपने फॅमिली और लोकल किसानों से पूरी जानकारी प्राप्त करने के पूरी तरह से फार्मिंग को अपना करियर बनाया। उन्होंने खुद की 20 एकड़ जमीन पर ऑर्गेनिक बेस्ड मिक्स्ड फार्मिंग करना शुरू किया। अच्छी फसल के लिए राकेश देश के अलग अलग जगहों से बेहतर बीज मंगाए और उसके लिए गोबर, क्रॉप वेस्ट और केंचुओं से वर्मी कंपोस्टिंग तैयार किया। सबसे पहले टमाटर, ब्रोकोली, तोरी जैसी 30 तरह की सब्जियों के पौधे लगाए। साथ ही कई और किसानों को खुद के साथ जोड़ा।
राकेश बताते हैं, “ज्यादातर किसानों के पास छोटे खेत थे और वह अच्छी उपज के लिए कैमिकल फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करते थे। ऐसे में किसानों को ये विश्वास दिलाना बहुत मुश्किल था की वो बिना कैमिकल फर्टिलाइजर के भी अच्छी खेती कर सकते हैं। जब किसानों ने देखा की अच्छी प्लानिंग और ऑर्गेनिक फार्मिंग से ज्यादा फायदा होता है तो वो अपने आप जुड़ने लगे। 2020 में हम 30 एकड़ जमीन पर खेती करने लगे, 10 एकड़ किसानों की जमीन थी। इस तरह हमारा कम्यूनिटी फार्मिंग सक्सेसफुल होते जा रहा था”।
कम्यूनिटी फार्मिंग के जरिए राकेश और किसान जमीन, संसाधन, उपकरण, ज्ञान, मेहनत व मशीन एक दूसरे के साथ बांटते हैं। ज्यादा रोजगार देने के लिए उन्होंने किसानों के परिवार को साथ जोड़ा। इस तरह अगर एक ही परिवार के 4 सदस्य अगर राकेश के साथ काम करते हैं तो उनकी कमाई भी उतनी अधिक होती है।
‘फार्म पाठशाला’ से लोगों को जोड़ने का काम किया
राकेश ने खेती से आम लोगों को जोड़ने और खेती के बारे में किसानों को और जागरूक करने के लिए ‘फार्म पाठशाला’ नाम से पहला इनीशिएटिव लाए। इसके जरिए वो किसानों को मॉडर्न फार्मिंग की टेक्नीक बताने लगे। साथ ही कॉलेज स्टूडेंट को भी वर्कशॉप के जरिए एग्रीकल्चर जानकारी देने लगे।
राकेश बताते हैं, “हमारे देश का एक बड़ा हिस्सा खेती पर निर्भर होने के बावजूद ज्यादातर शहरों में रहने वाले लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं हैं। फार्म पाठशाला से हमने लोगों को ऑर्गेनिक सब्जियों और फसलों के बारे में बताया। इसके बाद हमने ‘फार्मर हॉट’ नाम से दूसरा प्रोग्राम रन किया। इसमें हम ऑर्गेनिक सब्जियां शहर में जा कर बेचने लगे जिससे किसानों का फायद और ज्यादा होने लगा”।
25 एकड़ में 3000 पेड़ भी लगाए
राकेश और उनकी टीम ने सिर्फ फसलों और सब्जियों के अलावा पेड़ लगाने का भी काम किया। 2020 में उन्होंने ‘बी अ ट्री’ नाम से प्रोग्राम रन किया जिससे तरत लोगों को ख़ास कर किसानों को पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित किया।
राकेश बताते हैं कि सिर्फ एक साल में ही 25 एकड़ में 3000 से ज्यादा पेड़ लगाए जा चुके हैं।
इसके अलावा हम ग्रिड फार्मिंग भी कर रहे हैं। इसमें कोई भी, किसान की खेत का एक हिस्से का सब्स्क्रिप्शन ले सकता है। जिस पर वो अपनी जरूरत के अनुसार ऑर्गेनिक सब्जियों की उपज करवा सकता है, जो उस तक हर हफ्ते पहुचाई जाएंगी। इससे किसान को मुनाफा और सब्स्क्रिप्शन लेने वाले को ऑनिक और ताजी सब्जियां मिलेंगी।